banner https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec Sarswatijyotish: मई 2025

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बुधवार, 21 मई 2025

वैदिक वास्तु शास्त्र विद्या में नमक

🌺वैदिक वास्तुशास्त्र में नमक का महत्व🌺


वैदिक वैदिक वास्तुशास्त्र में नमक का महत्व :


 वैदिक वास्तुशास्त्र मे नमक को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। 

नमक के अलग - अलग इस्तेमाल से घर की नकारात्मक ऊर्जा निकल जाती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। 

मानसिक शांति, सेहत, सुख - समृद्धि और पैसे के मामले में नमक की भूमिका अहम है।

वैदिक वास्तु के अनुसार एक चुटकी नमक ही काफी है दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने के लिए...।

यदि आपके घर मे हमेशा कोई न कोई बीमार रहता हैं। 

घर में परिवार के सदस्यों के बीच झगड़े होते रहते हैं। 

तो प्रतिदिन पानी मे थोड़ा सा काला नमक डालकर पूरे घर में पोंछा लगाएं। 

कुछ दिनों में इसका असर देखने को मिल जाएगा। घर की नकारात्मक उर्जा दूर हो जाएगी।




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घर मे सबसे ज्यादा नकारात्मक उर्जा का स्रोत बाथरूम होता है, अतः बाथरूम मे काँच की छोटी कटोरी मे सफेद नमक भरकर कुछ ऊँचाई पर रखे, जब यह गीला हो जाए तब इसे बदल कर फिर नया नमक रख दें।बाथरूम का दरवाजा बेवजह खुला नही छोड़े।

स्टील यानी लोहे से बने बर्तन में नमक कभी नहीं रखना चाहिए। 

वैदिक वास्तु में ऐसी मान्यता है कि नमक को हमेशा कांच के जार में भरकर रखना चाहिए। 

साथ ही इसमें एक लौंग डाल दें, तो फिर सोने पे सुहागा... इससे घर में सुख - समृद्धि तो रहती ही है। 

पैसों की भी कभी कमी महसूस नहीं होती। धन का आगमन बना रहता है।

यदि आपका मन हर समय बेचैन रहता है। 





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घर, बाहर, या ऑफिस में मन नही लगता, मानसिक शांति नहीं मिलती  है। 

तो ऐसी समस्या से निजात पाने के लिए नहाते समय पानी में एक चुटकी नमक मिला लें और उससे स्नान करें। 

वैदिक वास्तु विशेषज्ञों की मानें, तो ऐसा करने से मानसिक बेचैनी कम हो जाती है। 

तन - मन हमेशा तरोताजा रहता है। 

आलस्य से छुटकारा मिल जाता है।

घर में कोई लंबे समय से बीमार चल रहा हो, तो उसके बिस्तर के पास कांच की बोतल में नमक भरकर रखें और हर महीने इसे बदल दें। 




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ऐसा करने से बीमार व्यक्ति की सेहत में काफी सुधार आ सकता है। 

यह उपाय तब तक करते रहें, जब तक वह व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ न हो जाए।

पहाड़ी ( सेंधा ) नमक का एक एक टुकड़ा घर के हर कमरे के कोने में रख दें। 

घर की सारी नकारात्मकत एनर्जी दूर हो जाएगी। 

परिवार के लोग खुश रहने लगेंगे। 

घर  में सुख - शांति फैल जाएगी।
 
कुछ सावधानियां 


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प्राचीन मान्यता है कि :-

यदि आप नमक सीधे किसी के हथेली में रखकर देते हैं, तो इससे उस व्यक्ति के साथ आपका झगड़ा हो सकता है। 

इस लिए नमक कभी किसी को हाथ में न दें, बल्कि चम्मच से बर्तन के जरिए दें। 

नमक को कभी जमीन में न गिरने दें। 





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नमक को कभी बेकार भी मत होने दें। 

वास्तु के अनुसार, यदि नमक जमीन पर सीधे गिरता है, तो यह माने लें कि आप सीधे अपने दुर्भाग्य को दावत दे रहे हैं।

सफेद नमक का सेवन प्रत्यक्ष रूप मे नही करना चाहिए।

घर में सुबह - शाम दीपक जलाने की परंपरा, इससे दूर होते हैं वास्तु दोष और बढ़ती है सकारात्मकता घर के मंदिर में रोज सुबह - शाम दीपक जलाने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। 

जो लोग विधिवत पूजा नहीं कर पाते हैं, वे दीपक जरूर जलाते हैं। घी या तेल का दीपक जलाने से धार्मिक लाभ मिलता है। वास्तु दोष दूर होते हैं। 

ज्योतिषाचार्य पं.  पंडारामा प्रभु राज्यगुरु के अनुसार दीपक जलाते समय कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो पूजा जल्दी सफल हो सकती है। जानिए दीपक से जुड़ी खास बातें...




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अगर नियमित रूप से दीपक जलाया जाता है तो घर में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा सक्रिय रहती है। 

वैदिक वास्तु दोष बढ़ाने वाली नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है। 

दीपक के धुएं से वातावरण में मौजूद हानिकारक सूक्ष्म कीटाणु भी नष्ट हो जाते हैं। 

दीपक अंधकार खत्म करता है और प्रकाश फैलाता है। 

मान्यता है देवी - देवताओं को दीपक की रोशनी विशेष प्रिय है, इसी लिए पूजा - पाठ में दीपक अनिवार्य रूप से जलाया जाता है।

रोज शाम के समय मुख्य द्वार के पास दीपक लगाना चाहिए। 

ये दीपक घर में नकारात्क ऊर्जा के प्रवेश को रोकता है।

पूजा में घी का दीपक अपने बाएं हाथ की ओर जलाना चाहिए। 

तेल का दीपक दाएं हाथ की ओर रखना चाहिए। 

इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पूजा के बीच में दीपक बुझना नहीं चाहिए। 

ऐसा होने पर पूजा का पूर्ण फल नहीं मिल पाता है। 

दीपक हमेशा भगवान की प्रतिमा के ठीक सामने लगाना चाहिए।

घी के दीपक के लिए सफेद रुई की बत्ती उपयोग किया जाना चाहिए। 

जबकि तेल के दीपक के लिए लाल धागे की बत्ती श्रेष्ठ बताई गई है। पूजन में कभी भी खंडित दीपक नहीं जलाना चाहिए। 





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धार्मिक कार्यों में खंडित सामग्री शुभ नहीं मानी जाती है।

दीपक जलाते समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए - मंत्र- 

शुभम करोति कल्याणं, आरोग्यं धन संपदाम्, शत्रु बुद्धि विनाशाय, दीपं ज्योति नमोस्तुते।।

इस मंत्र का सरल अर्थ यह है कि शुभ और कल्याण करने वाली, आरोग्य और धन संपदा देने वाली, शत्रु बुद्धि का विनाश करने वाली दीपक की ज्योति को नमस्कार है।

शास्त्रों की मान्यता है कि मंत्र जाप के साथ दीपक जलाने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। वास्तु दोष दूर होते हैं।

*दक्षिण दिशा में भोजन करना मृत्यु कारक होता है आओ जानें*

*दक्षिण दिशा में मुंह करके खाना खाना, आपको अकाल मृत्यु की ओर ले जाता है। 

वास्तव, माना जाता है कि ये दिशा मरे हुए लोगों की है और इस दिशा में ऐसी ही ऊर्जा रहती है। 

जब आप इस दिशा में खाना खाते हैं तो ये नकारात्मक ऊर्जा आपके खाने में मिल जाती है या फिर आपके खाने का एक भाग इन्हें भी जाने लगता है। 





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फिर लगातार ये काम करना इनके साथ संपर्क बढ़ाता है और मृत्यु की दिशा क्रियाशील हो जाती है और आप या आपका कोई विशेष अचानक से अकाल मृत्यु की ओर जाता है।*
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*खाने की सही दिशा क्या है-खाने की सही दिशा है पूर्व। 

वास्तव में, इस दिशा में खाना मानसिक तनाव को दूर करता है और आपके पाचन क्रिया को सही करता है।* 

*इसके अलावा इस दिशा में खाना खाने से आप स्वस्थ्य रहते हैं। 

इतना ही नहीं इस दिशा में खाना खाने से आपके माता-पिता का भी स्वास्थ्य उत्तम रहता है।*
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*भोजन करने के नियम सनातन धर्म के अनुसार..........*





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*खाने से पूर्व अन्नपूर्णा माता की स्तुति करके उनका धन्यवाद देते हुये,* *तथा सभी भूखों को भोजन प्राप्त हो इर्श्वर से ऐसी प्रार्थना करके भोजन करना चाहिये।*

*गृहस्थ के लिये प्रातः और सायं ( दो समय ) ही भोजन का विधान है।*

*दोनों हाथ, दोनों पैर और मुख, इन पाँच अंगों को धोकर भोजन करने वाला दीर्घजीवी होता है।*

*भींगे पैर खाने से आयु की वृद्धि होती है।*

*सूखे पैर, जुते पहने हुये, खड़े होकर, सोते हुये, चलते फिरते, बिछावन पर बैठकर, गोद मे रखकर, हाथ मे लेकर, फुटे हुये बर्तन में, बायें हाथ से, मन्दिर मे, संध्या के समय, मध्य रात्रि या अंधेरे में भोजन नहीं करना चाहिये।*

*रात्रि में भरपेट भोजन नहीं करना चाहिये।*

*रात्रि के समय दही, सत्तु एव तिल का सेवन नहीं करना चाहिये।*

*हँसते हुये, रोते हुये, बोलते हुये, बिना इच्छा के, सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण के समय भोजन नहीं करना चाहिये।*

*पूर्व की ओर मुख करके खाना खाने से आयु बढ़ती है।*

*उत्तर की ओर मुख करके भोजन करने से आयु तथा धन की प्राप्ति होती है।*

*दक्षिण की ओर मुख करके भोजन करने से प्रेतत्व की प्राप्ति होती है।*

*पश्चिम की ओर मुख करके भोजन करने से व्यक्ति रोगी होता है।*

*भोजन सदा एकान्त मे ही करना चाहिये।*

*यदि पत्नि भोजन कर रही हो, तो उसे नहीं देखना चाहिये।*

*बालक और वृद्ध को भोजन करने के बाद स्वंय भोजन ग्रहण करें।*

*बिना स्नान, पूजन, हवन किये बिना भोजन न करें।*

*बिना स्नान ईख, जल, दूध, फल एवं औषध का सेवन कर सकते हैं।*

*किसी के साथ एक बर्तन मे भोजन न करें।* *( पत्नि के साथ कदापि नहीं ) अपना जूठा किसी को ना दें, ना स्वंय किसी का जुठा खायें।*

*काँसे के बर्तन में भोजन करने से ( रविवार छोड़कर ) आयु, बुद्धि, यश और बल की वृद्धि होती है।*

*परोसे हुये अन्न की निन्दा न करें, वह जैसा भी हो, प्रेम से भोजन कर लेना चाहिये। 

सत्कारपूर्वक खाये गये अन्न से बल और तेज की वृद्धि होती है।*

*ईर्ष्या, भय, क्रोध, लोभ, राग और द्वेष के समय किया गया भोजन शरीर मे विकार उत्पन्न कर रोग को आमन्त्रित करता है।*

*भोजन में पहले मीठा, बीच मे नमकीन एवं खट्टी तथा अन्त में कड़वे पदार्थ ग्रहण करें।*

*कोई भी मिष्ठान्न पदार्थ जैसे हलवा, खीर, मालपूआ इत्यादि देवताओ एवं पितरों को अर्पण करके ही खाना चाहिये।*

*जल, शहद, दूध, दही, घी, खीर और सत्तु को छोड़कर कोई भी पदार्थ सम्पुर्ण रूप से नहीं खाना चाहिये। ( अर्थात् बिल्कुल थोड़ा सा थाली मे छोड़ देना चाहिये )।*

*जिससे प्रेम न हो उसके यहाँ भोजन कदापि न करें।*

*मल मूत्र का वेग होने पर, कलह के माहौल में, अधिक शोर में, पीपल, वट वृक्ष के नीचे, भोजन नहीं करना चाहिये।*

*आधा खाया हुआ फल, मिठाइयाँ आदि पुनः नहीं खानी चाहिये।*

*खाना छोड़ कर उठ जाने पर दोबारा भोजन नहीं करना चाहिये।*

*गृहस्थ को ३२ ग्रास से अधिक नहीं खाना चाहिये।*

*थोडा खाने वाले को आरोग्य, आयु, बल, सुख, सुन्दर सन्तान, और सौन्दर्य प्राप्त होता है।*

*जिसने ढिंढोरा पीट कर खिलाया हो वहाँ कभी न खायें।*

*कुत्ते का छुआ, श्राद्ध का निकाला, बासी, मुँह से फूंक मरकर ठण्डा किया, बाल गिरा हुआ भोजन, अनादर युक्त, अवहेलना पूर्ण परोसा गया भोजन कभी न करें।*

*कंजूस का, राजा का, चरित्रहीन के हाथ का, शराब बेचने वाले का दिया भोजन कभी नहीं करना चाहिये।*

*भोजन बनने वाला स्नान करके ही शुद्ध मन से, मन्त्र जप करते हुये ही रसोयी में भोजन बनायें और सबसे पहले ३ रोटियाँ अलग निकाल कर ( गाय, कुत्ता, और कौवे हेतु ) फिर अग्नि देव का भोग लगा कर ही घर वालों को खिलायें।*
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*भीष्म पितामह ने अर्जुन को 4 प्रकार का भोजन न करने की सलाह दी थी...*
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*1. जिस थाली को क़ोई व्यक्ति लांघ कर गया हो वह भोजन नाली में पड़े कीचड़ के समान है! 

वह भोजन योग्य नहीं है!*

*2. जिस थाली को ठोकर लग गई या पांव लग गया वह भोजन भिष्टा के समान है! 

वह भोजन योग्य नहीं है!*

*3. जिस भोजन की थाली में या भोजन में बाल ( केश ) पड़ा हो वह दरिद्रता के समान है! 

भोजन योग्य नहीं है!*

*4. जिस थाली में पति पत्नी एक साथ भोजन कर रहे हों वह भोजन भी योग्य नहीं है! लेकिन पत्नी अगर अपने पति की झूठी थाली या पति का झूंठा खाती है तो उसे चारों धाम का पुण्य फल मिलता है!*
*हे अर्जुन, बेटी अगर कुमारी हो और पिता के साथ एक ही थाली में भोजन करती है, तो उस पिता की कभी अकाल मृत्यु नहीं हो सकती क्योंकि बेटी पिता की अकाल मृत्यु को हर लेती है।*

*कलावा के उपाय 5 रुपए का कलावा खोलेगा आपकी किस्मत का ताला,घर में धन की कभी नहीं होगी कमी, जानें ये अचूक उपाय*

*हिंदू धर्म में कलावा बांधने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. किसी भी शुभ मुहूर्त पर कलावा या मौली बांधते ही हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके कई चमत्कारी उपाय भी हैं जिससे धन की प्राप्ति भी होती है.*

*कलावा जिसे रक्षा सूत्र भी कहा जाता है न सिर्फ एक धागा है बल्कि त्रिदेवों ( ब्रह्मा, विष्णु और महेश ) और त्रिदेवियों ( सरस्वती, पार्वती और लक्ष्मी ) का प्रतीक भी है. यही कारण है कि ज्योतिष शास्त्र में कलावे से जुड़े कई अचूक उपाय बताए गए हैं. इनमें से एक उपाय है पैसों की कमी को दूर करना. कलावा के इस उपाय को जानते हैं.*

*उपाय*

*5 रुपये की कलावे की एक गट्टी लें. उस कलावे की गट्टी को बराबर से 5 हिस्सों में बांटकर काट लें या अलग - अलग कर लें.`*

*पहला कलावा:-* घर में रखे तुलसी के पौधे को बांधें.

*दूसरा कलावा:-* पीपल के पेड़ को बांधें.

*तीसरा कलावा:-* घर की पूर्व दिशा में किसी चीज से बांधकर लटकाएं. अगर घर की पूर्व दिशा में ऐसा कोई स्थान या वस्तु नहीं है जहां कलावा बांधा जा सके तो आप घर की तिजोरी में भी कलावा रख सकते हैं या बांध सकते हैं.

*चौथा कलावा:-* घर के मंदिर पर बांधें.

*पांचवां कलावा:-* घर की रसोई की खिड़की पर बांधें. अगर घर की रसोई में खिड़की नहीं है तो आप रसोई में जहां आपने पानी का मटका रखा हुआ है उस पर भी बांध सकते हैं.

*`इस उपाय को करने से पैसों की भारी से भारी कमी भी धीरे-धीरे दूर होने लग जाती है. साथ ही, घर में पैसा आने लगे इसके भी नए-नए रास्ते खुलने लगते हैं. अगर कहीं पैसा अटक गया है तो वह अटका हुआ धन भी लौट आता है. यह उपाय बहुत ही सरल और प्रभावी है. इसे करने से आपको निश्चित ही लाभ होगा.`*

*कुछ अन्य बातें:-*

* आप इस उपाय को किसी भी दिन कर सकते हैं.

* आप इस उपाय को करते समय मन में कोई नकारात्मक विचार न रखें.

* आप इस उपाय को करते समय भगवान पर पूरा विश्वास रखें.

* यह उपाय आपको पैसों की कमी से छुटकारा दिलाने में मदद करेगा और आपके घर में सुख-समृद्धि लाएगा.
पंडारामा प्रभु राज्यगुरु

वैदिक वास्तु शास्त्र विद्या

वैदिक वास्तु शास्त्र विद्या  वैदिक वास्तु शास्त्र के अनुसार पति-पत्नी जिस कमरे में सोते हों, वहां नहीं होनी चाहिए ये चीजें । पति-पत्नी के जी...