वैदिक वास्तु शास्त्र के अनुसार होना चाहिए घर...! /
वैदिक वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में पीतल का कछुआ रखना शुभ माना जाता है।
वैदिक वास्तु शास्त्र के ऋग्वेद का अनुसार कैसा होना चाहिए संपूर्ण घर, जानिए मेन गेट से बेडरुम तक किस चीज के लिए कौन सी दिशा है सही।
वैदिक वास्तु शास्त्र का ऋग्वेद के अनुसार घर में कौन सी दिशा में क्या होना चाहिए।
इस का उल्लेख ऋग्वेद और कई वास्तु ग्रंथों में मिलता है।
भवन भास्कर और विश्वकर्मा प्रकाश सहित अन्य ग्रंथों में भी मिलता है।
वास्तु के अनुसार एक आदर्श मकान का मेनगेट सिर्फ पूर्व या उत्तर दिशा में ही होना चाहिए।
वहीं आपके घर का ढलान पूर्व, उत्तर या पूर्व - उत्तर ( इशान कोण ) की और होना शुभ माना गया है।
इस तरह वास्तु के अनुसार घर के कमरे, हॉल, किचन, बाथरुम और बेडरुम एक खास दिशा में होने चाहिए।
जिससे घर में वास्तुदोष नहीं होता और लोग सुखी रहते हैं।
पूर्व दिशा -
पूर्व दिशा सूर्योदय की दिशा है।
इस दिशा से सकारात्मक व ऊर्जावान किरणें हमारे घर में प्रवेश करती हैं।
यदि घर का मेनगेट इस दिशा में है तो बहुत अच्छा है।
खिड़की भी रख सकते हैं।
पश्चिम दिशा -
आपका रसोईघर या टॉयलेट इस दिशा में होना चाहिए।
रसोईघर और टॉयलेट पास - पास न हो, इसका भी ध्यान रखें।
उत्तर दिशा -
इस दिशा में घर के सबसे ज्यादा खिड़की और दरवाजे होने चाहिए।
घर की बालकॉनी व वॉश बेसिन भी इसी दिशा में होना चाहिए।
यदि मेनगेट इस दिशा में है और अति उत्तम।
दक्षिण दिशा -
दक्षिण दिशा में किसी भी प्रकार का खुलापन, शौचालय आदि नहीं होना चाहिए।
घर में इस स्थान पर भारी सामान रखें।
यदि इस दिशा में द्वार या खिड़की है तो घर में नकारात्मक ऊर्जा रहेगी और ऑक्सीजन का लेवल भी कम हो जाएग।
इससे घर में क्लेश बढ़ता है।
उत्तर - पूर्व दिशा -
इसे ईशान दिशा भी कहते हैं।
यह दिशा जल का स्थान है।
इस दिशा में बोरिंग, स्वीमिंग पूल, पूजास्थल आदि होना चाहिए।
इस दिशा में मेनगेट का होना बहुत ही अच्छा रहता है।
उत्तर - पश्चिम दिशा -
इसे वायव्य दिशा भी कहते हैं।
इस दिशा में आपका बेडरूम, गैरेज, गौशाला आदि होना चाहिए।
दक्षिण - पूर्व दिशा -
इसे घर का ( आग्नेय ) अग्नि कोण कहते हैं।
यह अग्नि तत्व की दिशा है।
इस दिशा में गैस, बॉयलर, ट्रांसफॉर्मर आदि होना चाहिए।
दक्षिण - पश्चिम दिशा -
इस दिशा को नैऋत्य दिशा कहते हैं।
इस दिशा में खुलापन अर्थात खिड़की, दरवाजे बिलकुल ही नहीं होना चाहिए।
घर के मुखिया का कमरा यहां बना सकते हैं।
कैश काउंटर, मशीनें आदि आप इस दिशा में रख सकते हैं।
घर का आंगन - घर में आंगन नहीं है तो घर अधूरा है।
घर के आगे और पीछे छोटा ही सही, पर आंगन होना चाहिए।
आंगन में तुलसी, अनार, जामफल, मीठा या कड़वा नीम, आंवला आदि के अलावा सकारात्मक ऊर्जा देने वाले फूलदार पौधे लगाएं।
वैदिक वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में पीतल का कछुआ रखना शुभ माना जाता है।
धन प्राप्ति, वास्तु के इन नियमों को जानने के बाद घर में पीतल का कछुआ किस दिशा में रखने से होती है वरना जीवन पर पड़ने लगेगा उल्टा प्रभाव...!
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वैदिक वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में पीतल का कछुआ रखना शुभ माना जाता है।
इस से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं।
धन लाभ के नए रास्ते भी खुलते हैं।
वैदिक वास्तु शास्त्र के अनुसार सुख-समृद्धि के लिए कछुआ सही दिशा में रखना जरूरी है।
पीतल के कछुए को कभी भी दक्षिण दिशा में नहीं रखना चाहिए, वरना इससे जीवन पर उल्टा प्रभाव पड़ने लगता है।
वैदिक वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में पीतल का कछुआ रखने से घर में सकारात्मकता बनी रहती है।
पीतल के कछुए को घर में रखने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं और धन प्राप्ति के नए मार्ग बनते जाते हैं।
साथ ही घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे कि घर में सुख और समृद्धि का वास होता है।
घर में पीतल का कछुआ रखते समय सही दिशा और नियमों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
आइए, जानते हैं घर में पीतल का कछुआ रखने के नियम और फायदे।
सही दिशा में पीतल के कछुए को रख दे :
वैदिक वास्तु शास्त्र के नियम के अनुसार सकारात्मक ऊर्जा के लिए चीजों को सही दिशा में रखना बहुत जरूरी है।
घर में पीतल का कछुआ रखना बहुत शुभ माना जाता है।
यह घर को सुरक्षा और समृद्धि प्रदान करता है।
इसे कवच की तरह माना जाता है।
पीतल, सोना या चांदी के कछुए को हमेशा उत्तर या उत्तर - पश्चिम दिशा में रखना चाहिए।
क्रिस्टल के कछुए के लिए ईशान कोण सबसे शुभ मानी जाती है।
विशेष नियम पीतल के कछुए को घर में रखने के:
कछुए को हमेशा पानी में रखना चाहिए, जिससे उसके पैर गीले रहें।
पानी भी रोज बदलना जरूरी है।
कछुए को ऐसी जगह रखें, जहां आप ज्यादा समय बिताते हैं।
कछुए को मुख्य द्वार के पास, घर के अंदर की तरफ मुंह करके रख सकते हैं।
अगर घर में मंदिर है, तो कछुए का मुंह मंदिर की ओर रखें।
इससे कछुए को सही वातावरण मिलता है।
पानी बदलने से साफ - सफाई रहती है और बीमारियों से बचाव होता है।
सकारात्मक ऊर्जा के लिए पीतल का कछुआ घर में रखें:
वैदिक वास्तु शास्त्र के अनुसार पीतल के कछुए को घर में रखने से शुभ फल मिलते हैं।
यह घर में खुशहाली और सकारात्मक ऊर्जा लाता है।
नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
सौभाग्य प्राप्त होता है।
कछुए को सही तरीके से रखना जरूरी है, तभी पूरा लाभ मिलेगा।
कछुए को घर की उत्तर पूर्व दिशा में रखना चाहिए।
इससे घर का वातावरण सुखमय बना रहता है।
परिवार में शांति और समृद्धि आती है।
पंडारामा प्रभु राज्यगुरु
!!!!! शुभमस्तु !!!
🙏हर हर महादेव हर...!!
जय माँ अंबे ...!!!🙏🙏
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 ( तमिलनाडु )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद..
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏