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शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025

वैदिक वास्तु शास्त्र विद्या :

वास्तु शास्त्र के अंतर्गत प्रत्येक दिशा व कोण का एक स्वामी होता है। 

उसी के अनुसार उस दिशा अथवा कोण का उपयोग किया जाता है। 

वास्तु शास्त्र के अनुसार र्ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) देवताओं का स्थान माना गया है इस  लिए इस स्थान का उपयोग बहुत ही सोच-समझकर करना चाहिए। 

ईशान कोण में निर्माण करवाते समय नीचे लिखी बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए-


1- ईशान कोण में यदि कोई कबाड़ा रखा हो तो उसे वहां से हटा दें। 

क्योंकि यह देवताओं का स्थान है। 

अगर यहां कबाड़ा रखते हैं तो अनिष्ट होने का भय रहता है।


2- प्रत्येक लिविंग रूम में ईशान कोण में भारी या अधिक सामान हो तो उसे कम करते हुए कमरे के नैऋत्य में सामान बढ़ा सकते हैं। 

ईशान कोण को खाली अथवा हल्का रखें।






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3- यदि पूजा स्थल गलत दिशा में हो तो उसे ईशान दिशा में किया जा सकता है। 

उत्तर या पूर्व में पूजा स्थल हो तो उसे स्थानांतरित करने की आवश्यकता नहीं है।


4- यदि ईशान में शौचालय हो तथा घर में और भी शौचालय हो तो ईशान वाले शौचालय को बंद करवा दें। 


5- औद्योगिक इकाइयों जैसे- फैक्ट्री, कारखाना आदि का ईशान कोण भी साफ-सुथरा होना चाहिए।




घर में सुबह - शाम दीपक जलाने की परंपरा, इससे दूर होते हैं वास्तु दोष और बढ़ती है सकारात्मकता


घर के मंदिर में रोज सुबह-शाम दीपक जलाने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। 

जो लोग विधिवत पूजा नहीं कर पाते हैं, वे दीपक जरूर जलाते हैं। 

घी या तेल का दीपक जलाने से धार्मिक लाभ मिलता है। 

वास्तु दोष दूर होते हैं। 

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं.  प्रभुलाल पी. वोरिया के अनुसार दीपक जलाते समय कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो पूजा जल्दी सफल हो सकती है। 

जानिए दीपक से जुड़ी खास बातें...!


    अगर नियमित रूप से दीपक जलाया जाता है तो घर में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा सक्रिय रहती है। 

वास्तु दोष बढ़ाने वाली नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है। दीपक के धुएं से वातावरण में मौजूद हानिकारक सूक्ष्म कीटाणु भी नष्ट हो जाते हैं। 

दीपक अंधकार खत्म करता है और प्रकाश फैलाता है। 

मान्यता है देवी-देवताओं को दीपक की रोशनी विशेष प्रिय है, इसीलिए पूजा-पाठ में दीपक अनिवार्य रूप से जलाया जाता है।


    रोज शाम के समय मुख्य द्वार के पास दीपक लगाना चाहिए। 

ये दीपक घर में नकारात्क ऊर्जा के प्रवेश को रोकता है।


    पूजा में घी का दीपक अपने बाएं हाथ की ओर जलाना चाहिए। 

तेल का दीपक दाएं हाथ की ओर रखना चाहिए। 

इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पूजा के बीच में दीपक बुझना नहीं चाहिए। ऐसा होने पर पूजा का पूर्ण फल नहीं मिल पाता है। 

दीपक हमेशा भगवान की प्रतिमा के ठीक सामने लगाना चाहिए।

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    घी के दीपक के लिए सफेद रुई की बत्ती उपयोग किया जाना चाहिए। 

जबकि तेल के दीपक के लिए लाल धागे की बत्ती श्रेष्ठ बताई गई है। 

पूजन में कभी भी खंडित दीपक नहीं जलाना चाहिए। 

धार्मिक कार्यों में खंडित सामग्री शुभ नहीं मानी जाती है।


    दीपक जलाते समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए- मंत्र- शुभम करोति कल्याणं, आरोग्यं धन संपदाम्, शत्रु बुद्धि विनाशाय, दीपं ज्योति नमोस्तुते।।


    इस मंत्र का सरल अर्थ यह है कि शुभ और कल्याण करने वाली, आरोग्य और धन संपदा देने वाली, शत्रु बुद्धि का विनाश करने वाली दीपक की ज्योति को नमस्कार है।


    शास्त्रों की मान्यता है कि मंत्र जाप के साथ दीपक जलाने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। 

वास्तु दोष दूर होते हैं।



माँ लक्ष्मी की पूजा करने के 10 प्रमुख कारण:  


1. *धन और समृद्धि की देवी* – माँ लक्ष्मी को धन, ऐश्वर्य और संपत्ति की देवी माना जाता है, इसलिए उनकी पूजा से आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है।  


2. *सौभाग्य और सफलता* – माँ लक्ष्मी की कृपा से व्यक्ति को भाग्य का साथ मिलता है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।  


3. *सुख-शांति की प्राप्ति* – लक्ष्मी जी की पूजा करने से घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।  


4. *ऋण मुक्ति* – माँ लक्ष्मी की उपासना से कर्ज और आर्थिक संकट से मुक्ति मिलती है।  


5. *शुद्धता और सात्विकता* – लक्ष्मी जी स्वच्छता और सात्विकता की प्रतीक हैं, इसलिए उनकी पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।  


6. *व्यापार और करियर में उन्नति* – व्यापारी और नौकरीपेशा लोग माँ लक्ष्मी की आराधना करते हैं ताकि उनके व्यवसाय और करियर में वृद्धि हो।  


7. *दान और धर्म का महत्व* – माँ लक्ष्मी सच्चे दान और धर्म को स्वीकार करती हैं, जिससे व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है।  


8. *नकारात्मकता और दरिद्रता से बचाव* – लक्ष्मी पूजा करने से जीवन में दरिद्रता और आर्थिक तंगी दूर होती है।  


9. *दीपावली और विशेष पर्वों का महत्व* – दीपावली के दिन विशेष रूप से माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जिससे पूरा वर्ष सुख-समृद्धि से व्यतीत होता है।  


10. *आध्यात्मिक और मानसिक शांति* – माँ लक्ष्मी की आराधना से मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।  


इसलिए माँ लक्ष्मी की पूजा धन, ऐश्वर्य और जीवन की सुख-समृद्धि के लिए अत्यंत आवश्यक मानी जाती है।

!!!!! शुभमस्तु !!!


🙏हर हर महादेव हर...!!

जय माँ अंबे ...!!!🙏🙏


पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर: -

श्री सरस्वति ज्योतिष कार्यालय

PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 

-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-

(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 

" Opp. Shri Satvara vidhyarthi bhuvn,

" Shri Aalbai Niwas "

Shri Maha Prabhuji bethak Road,

JAM KHAMBHALIYA - 361305 (GUJRAT )

सेल नंबर: . + 91- 9427236337 / + 91- 9426633096  ( GUJARAT )

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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 

नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....

जय द्वारकाधीश....

जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

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